सोमवार, 27 अगस्त 2012

आम आदमी



सुबह के इंतज़ार मे
गुजरती है हर रात
हर सुबह फिर से ले आती है
अनगिनत चिंताओं की सौगात,
फिर से डरा सहमा सा
गुजारता हूँ दिन किसी तरह
छुपता हूँ मकान मालिक से
और सुनता हूँ ताने बीवी के,
हर सुबह निकलता हूँ घर से
बच्चों की फीस और
रासन की चिंता लिए
और दिन ढले फिर से
खाली हाथ लौट आता हूँ,
जीने की जद्दोजहद मे
और रोज़मर्रा की जरूरतों मे उलझा
मैं एक आम आदमी 
बिता देता हूँ
आँखों ही आँखों मे सारी रात,
इस आस मे
कि कल तो होगी
एक नयी सुबह  
जब मैं बच्चों को
बाज़ार ले कर जाऊंगा,
और बीवी को
एक नयी साड़ी दिलवाऊंगा,
एक नयी सुबह के इंतज़ार मे
गुजरती है हर रात मेरी
मैं हूँ एक आम आदमी। 

शनिवार, 25 अगस्त 2012

कोकराझार



कल फिर शहर बंद रहेगा
दंगों के विरोध मे
रैली और धरना होगा
कुछ खद्दरधारी भाषण देंगे
और फिर अगले दिन
जनजीवन सामान्य होगा,
यूँ ही
मृतकों के परिजन रोते रहेंगे
दंगे और विरोध प्रदर्शन होते रहेंगे,
यूँ ही
हमारी सरकार
कान मे रुई डालकर सोती रहेगी,
ना जाने कब
ये सरकार जागेगी
और शहर मे अमन चैन होगा,
ना जाने कब
दंगों का ये सिलसिला थमेगा,
ना जाने कब
ये आँसू थमेंगे  
और ये शहर फिर से हँसेगा,
ना जाने कब
ये काली रात बीतेगी
और एक नयी सुबह होगी,
ना जाने कब  .......    

सोमवार, 20 अगस्त 2012

प्रकृति



ये पर्वत ये झरने
ये पेड़ पौधे ये पक्षी
सभी मुझे 
अपने से लगते हैं,
जब नजदीक जाता हूँ इनके
नाम ले ले कर मेरा 
पुकारते हैं सभी 
और स्नेह की वर्षा 
करते हैं मुझ पर 
और मैं भावुक हो कर 
भीगता हूँ इनकी स्नेहवर्षा मे 
जब भी उदास होता हूँ 
तो हवा के झोंके 
थपकियाँ देते हैं 
और सभी पक्षी मिलकर 
मेरे लिए 
खुशियों के गीत गाते हैं 
और तब मैं 
भावविभोर हो उठता हूँ
कृतज्ञ हूँ ईश्वर का 
जिसने हमें 
इतना कुछ दिया जीने को। 
NILESH MATHUR

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